बोली इमरत बोली ज्हैर।
सींचै चाये आठूं फैर।
फूलै नहिं पीपळ-अर कैर।
कींयां निभै बताओ आप,
समदर बीच मगर सैं बैर।
बसै कसायां बीच, मनाय,
बकराकी मां कद तक खैर।
यूं तारा दीखै छै रात,
विपदा मै धोळै दोफैर।
मौत गादड़ा की जद आय,
भाग्यौ आवै सामौ स्हैर।,
बगत पड्यां जो आय न काम,
वंा अपणां सैं चोखा गैर।
आवै-जावै रीता हाथ,
कुण ल्यावै ले जावै लैर।
यार ‘बिहारी’ मीठो बोल,
बोली इमरत बोली ज्हैर।
सींचै चाये आठूं फैर।
फूलै नहिं पीपळ-अर कैर।
कींयां निभै बताओ आप,
समदर बीच मगर सैं बैर।
बसै कसायां बीच, मनाय,
बकराकी मां कद तक खैर।
यूं तारा दीखै छै रात,
विपदा मै धोळै दोफैर।
मौत गादड़ा की जद आय,
भाग्यौ आवै सामौ स्हैर।,
बगत पड्यां जो आय न काम,
वंा अपणां सैं चोखा गैर।
आवै-जावै रीता हाथ,
कुण ल्यावै ले जावै लैर।
यार ‘बिहारी’ मीठो बोल,
बोली इमरत बोली ज्हैर।
बिहारी शरण पारीक
भाईजी
जवाब देंहटाएंकुछ भी पढ़ना संभव नहीं है , सुधार करें ।
धन्यवाद !
~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार